बिहार में चमकी का कहर...

हिंदी में चमकी बुखार कह लीजिए या फिर अंग्रेजी में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम। दोनों का एक ही मतलब है, मौत। ऐसा हम इसलिए कह रह हे हैं क्योंकि बिहार में इन दिनों ये चमकी बुखार कहर बरपा रहा है। रोज बच्चों के मरने की खबरें आ रही हैं। डॉक्टरों के मुताबिक इस बीमारी का सबसे ज्यादा कहर सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी, बेतिया और वैशाली ज़िले में है। चूंकि इन ज़िलों में अस्पताल की स्थिति अच्छी नहीं है इसीलिए सभी इलाज के लिए मुज़फ्फरपुर की तरफ ही भाग रहे हैं। हालत ये है कि मुज़फ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में भर्ती होने वाले ज्यादातर बच्चे इन्हीं ज़िलों के हैं।

सिर्फ 10 जून के आंकड़ों के मुताबिक एक दिन में एसकेएमसीएच में 44 बच्चे भर्ती किए गए। जिनमें से 25 बच्चों की मौत हो गई। डॉक्टरों के मुताबिक इस बुखार से पीड़ित और मरने वाले सभी बच्चों की उम्र 5 से 10 साल के बीच की है। एसकेएमसीएच सुपरिटेंडेंट के मुताबिक 13 जून तक अस्पताल में 137 बच्चे भर्ती किए गए। जिनमें से 40 बच्चों की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि स्थिति से निबटने के लिए केंद्रीय टीम भी मुज़फ्फरपुर पहुंच चुकी है। दूसरी तरफ एक अफवाह ये भी है कि लीची की वजह से बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, डॉक्टर्स जिसकी जांच करने की बात कर रहे हैं।

# मौतें क्यों हो रही हैं?

इसका जवाब है एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम। बोलचाल की भाषा में इसे चमकी बुखार कहते हैं। लेकिन फिलहाल एसकेएमसीएच के डॉक्टरो के पास इन मौतों बारे और इस बिमारी के इलाज बारे कोई जवाब नहीं हैं।
इसकी वजह क्या है? लगातार मौते क्यों हो रही हैं? इसी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए केंद्रीय टीम मुज़फ्फरपुर पहुंची हैं। केंद्रीय बाल आयोग के साथ स्वास्थ्य विभाग की टीम भी एसकेएमसीएच पहुंची हैं। वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम मामले की जांच कर रही है। हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि अब एक भी बच्चे की जान ना जाए।

#सरकारें क्या कर रही है?

बिहार में और केंद्र दोनों में एनडीए की सरकार है। लेकिन दोनों की तरफ से कोई खास कदम नहीं उठाए गए हैं। 40 बच्चों के मरने के बाद केंद्र की टीम बिहार तो पहुंची है, परन्तु कोई राहत अभी तक मिल नहीं पाई, न ही मौतों का सिलसिला थमने का नाम ले रहा जो कि अब 90 के पार जा पहुचा है। जबकी दूसरी ओर बिहार के मुखिया नीतीश कुमार ने सिर्फ मामले पर चिंता जाहिर की है, पटना में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हालात पर खास ध्यान देने के लिए स्वास्थ्य विभाग के सचिव को खास निर्देश दिए गए हैं। तो वही बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय अभी दिल्ली में पार्टी कार्यो में व्यस्तता के चलते अभी तक एक बार भी मुजफ्फरपुर का दौरा तक नहीं कर पाए हैं। सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मुआवजा भी सुनिश्चित किया है परन्तु क्या वह किसी बच्चे की जान से ज्यादा हो सकता है?

# पिछले कुछ सालों में कितनी मौतें हुई?

एसकेएमसीएच के आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी से साल 2012 में सबसे ज्यादा 120 मौतें हुई। साल 2013 में 39, साल 2014 में 90, फिर साल 2015 में 11, उसके अगले साल यानी कि 2016 में 4 मौतें, वहीं साल 2017 में 11 मौतें जबकि पिछले साल 7 बच्चों की जान गई थी। लेकिन इस साल ये आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं।

# चमकी बुखार के लक्षण क्या है?

चमकी बुखार के लक्षण कुछ इस प्रकार है, चमकी बुखार में बच्चे को लगातार तेज़ बुखार चढ़ा ही रहता है। बदन में ऐंठन होती है, बच्चे दांत पर दांत चढ़ाए रहते हैं। कमज़ोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता है। यहां तक कि शरीर भी सुन्न हो जाता है। कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि अगर बच्चों को चिकोटी काटेंगे तो उसे पता भी नहीं चलेगा। जबकि आम बुखार में ऐसा नहीं होता है।

# बच्चे ही क्यों होते हैं शिकार?

इस केस में ज्यादातर बच्चे ही दिमागी बीमारी के शिकार होते हैं। चूंकि बच्चों के शरीर की इम्युनिटी कम होती है, वो शरीर के ऊपर पड़ रही धूप को नहीं झेल पाते हैं। यहां तक कि शरीर में पानी की कमी होने पर बच्चे जल्दी हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार हो जाते हैं। कई मामलों में बच्चों के शरीर में सोडियम की भी कमी हो जाती है। हालांकि कई डॉक्टर इस थ्योरी से इनकार भी करते हैं। 3 साल पहले भी जब मुज़फ्फरपुर में दिमागी बुखार से बच्चे मर रहे थे तब मामले की जांच करने मुंबई के मशहूर डॉक्टर जैकब गए थे। तब उन्होंने भी इस थ्योरी पर जांच करने की कोशिश की, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए।

# कैसी सावधानी बरती जाए?

गर्मी के मौसम में फल और खाना जल्दी खराब होता है। घरवाले इस बात का खास ख्याल रखें कि बच्चे किसी भी हाल में जूठे और सड़े हुए फल नहीं खाए। बच्चों को गंदगी से बिल्कुल दूर रखें. खास कर गांव-देहात में जो बच्चे सूअर और गाय के पास जाते हैं गर्मियों में दूरी बना कर रखें। खाने से पहले और खाने के बाद हाथ ज़रूर धुलवाएं। साफ पानी पिएं, बच्चों के नाखून नहीं बढ़ने दें। और गर्मियों के मौसम में धूप में सीधा खेलने से मना करें। यह बुखार गर्मियों में ही अधिकतर फैलता है।

# बीमारी का इलाज क्या है?

चमकी बुखार से पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। हेल्दी फूड के साथ थोड़ी-थोड़ी देर पर मीठा देते रहना चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों में शुगर की कमी देखी जाती है। इसीलिए इस बात का भी खास ध्यान रखना चाहिए। बच्चों को थोड़-थोड़ी देर में लिक्विड फूड भी देते रहे ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो। दूसरी तरफ डॉक्टर इस बीमारी का कारगर इलाज़ नहीं ढूंढ पाए हैं। चूंकि इस बीमारी में मृत्युदर सबसे ज्यादा 35 प्रतिशत है। इसीलिए डॉक्टर्स सावधानी को ही दूसरा इलाज बताते है, साथ ही बुखार के जरा भी लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सीय उपचार करवाने की सलाह देते हैं।

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